बरेली शरीफ से निकला साबरी झंडा काफिला रहमतपुर नौगजे पीर पहुँचा
पिरान कलियर। सूफी परंपरा और गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक साबरी झंडा काफिला बरेली शरीफ से पैदल सफ़र करता हुआ हरिद्वार होते रहमतपुर गांव स्थित नौगजे पीर पहुँचा। काफिले के पहुँचते ही स्थानीय लोगों और जायरीनों ने फूल-मालाओं से भव्य स्वागत किया।
भक्ति और भाईचारे का नज़ारा
काफिले में शामिल सूफी संतों और जायरीनों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस अवसर पर कलियर शरीफ से पहुँचे शान साबरी ख़ास खादिम दरगाह बाबा जिलानी, मेहरबान अली, जीशान मलिक और दरगाह साबिर पाक के खादिम फैसल साबरी ने उपस्थित श्रद्धालुओं के साथ मिलकर लंगर वितरित किया। उन्होंने कहा कि ऐसे काफिले समाज को भाईचारे, मोहब्बत और इंसानियत का संदेश देते हैं।
रातभर हुआ इबादत और कव्वालियों का सिलसिला
नौगजे पीर की दरगाह पर काफिले ने चादर पेश की और अमन-चैन की दुआ मांगी। रातभर इबादत, ज़िक्र-ओ-अज़कार और सूफियाना कव्वालियों का कार्यक्रम चलता रहा। श्रद्धालु दूर-दराज़ के इलाकों से यहाँ पहुँचकर इस ऐतिहासिक परंपरा के गवाह बने।
कलियर शरीफ की ओर बढ़ेगा काफिला
जानकारी के अनुसार यह काफिला सोमवार रात रहमतपुर में ठहरने के बाद 24 अगस्त की दोपहर को पिरान कलियर स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह हज़रत साबिर पाक के लिए रवाना होगा। दरगाह शरीफ पर काफिले के स्वागत हेतु विशेष इंतज़ाम किए जा रहे हैं। हजारों जायरीन और खादिमों के इस अवसर पर पहुँचने की संभावना है।
सूफी परंपरा की अनूठी झलक
सदियों से चली आ रही इस परंपरा में हर साल बरेली शरीफ से साबरी झंडा काफिला पिरान कलियर दरगाह तक पैदल सफ़र करता है। रास्ते में विभिन्न कस्बों और गांवों में इसका इस्तकबाल होता है। यह काफिला केवल धार्मिक आस्था का ही नहीं बल्कि सामाजिक एकता और इंसानियत का संदेश भी देता है। गांव के लोगों का कहना था कि इस तरह के आयोजन से न केवल धार्मिक भावनाओं को मजबूती मिलती है बल्कि सामाजिक एकता और आपसी भाईचारे की मिसाल भी कायम होती है।