“सलेमपुर-दादूपुर में खुलेआम चल रहे कबाड़ गोदाम, प्रदूषण नियंत्रण विभाग बना दर्शक”
“आबादी में चल रहा है कबाड़ और भट्टी का खेल, प्रदूषण विभाग की चुप्पी सवालों में”
“हर रोज़ उड़ रहा ज़हर, लेकिन प्रदूषण विभाग के रिकॉर्ड में सब साफ़”
हरिद्वार। जनपद हरिद्वार के सलेमपुर दादुपुर क्षैत्र मे कबाड़खाने लघु उद्योग रूपी, प्लास्टिक का गुल्ला व दाना बनाने वाले कबाड़खानो से रात दिन ज़हरीला धुंआ निकलता नजर आ रहा है ,सभी मानक व नियमों एवं कानून को ताक पर रखकर उद्योग रूपी कबाड़खाने और गुल्ला की भट्टियां एक बार फिर से चर्चा का विषय बने हैं। गुल्ला भट्ठियों से जहरीला धुआं और खुलेआम नियमों की अनदेखी अब लोगों की जान पर बन आई है।
“यह कोई इंडस्ट्रियल एरिया नहीं, बल्कि हरिद्वार के ग्राम सलेमपुर, दादूपुर और गोविंदपुर जैसे रिहायशी इलाके हैं,
जहां अवैध रूप से चल रहे कबाड़खानों और प्लास्टिक गुल्ला भट्टी एवं लघु उद्योग ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। यहां रोज़ जलने वाले प्लास्टिक से निकलने वाला धुआं बच्चों, बुजुर्गों और पर्यावरण — सभी के लिए खतरा बन चुका है।” और वातावरण को दूषित कर रहा है।
फाइल फोटो
जबकि पर्यावरण पर केंद्र सरकार के द्वारा आनेको योजनाएं चला रही है और इस पू करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं आखिरकार प्रदूषण नियंत्रण विभाग इन पर लगाम क्यों नहीं लगा रहा है
वही खुले आम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए। प्रदूषण नियंत्रण विभाग को ठेंगा दिखा रहे हैं नजर आ रहे हैं और कबाड़ खाने एक विषय रूप का चर्चा का विषय बने हुए हैं। स्थानीय निवासी चौधरी गुल सनवर उर्फ बुला, जाफरी मिल्लिया अकादमी संस्थापक का कहना है
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कि “एक बार तो कबाड़खानो में आग लग गई थी, जिससे मेरा स्कूल जलने से बाल-बाल बचा है। कई बार स्थानीय लोगों ने शिकायत डीएम साहब से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक, की थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। और पूर्व में कई बार इन कबाड़खाना में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन न तो कोई जांच होती है और न ही प्रशासन इन अवैध गतिविधियों पर रोक लगा पा रहा है। आखिरकार कब इन अवैध कबड्डी के गोदाम पर कार्रवाई होगी