पिरान कलियर दरगाह: आस्था की नगरी, लेकिन सवालों के घेरे में व्यवस्थाएँ
हरिद्वार। पिरान कलियर दरगाह, जिसे सूफी संत हज़रत साबिर पाक की वजह से “गंगा-जमनी तहज़ीब की धरती” कहा जाता है, हर साल करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहती है।
लेकिन इस बार उर्स मेले से पहले ही दरगाह परिसर भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के मुद्दों को लेकर सुर्खियों में है। वक्फ बोर्ड सदस्य मोहम्मद अनीस ने दरगाह पहुँचकर न केवल चादर पेश की, बल्कि दुकानदारों और स्थानीय नागरिकों की समस्याएँ भी सुनीं।
दुकानदारों ने सुनाई दर्दभरी दास्तां
दरगाह परिसर में अस्थायी और स्थायी दुकानदारों ने बताया कि उनसे किराए के नाम पर वसूली तो होती है,
लेकिन रसीद कभी दी जाती है, कभी नहीं। कई दुकानदारों ने आरोप लगाया कि प्रबंधन प्रभारी रजिया बिना रसीद दिए ही पैसा ले लेती हैं। यहाँ तक कि जब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी माँगी गई तो अलग-अलग जवाब दिए गए। एक जगह स्वीकार किया गया कि पैसा लिया गया, तो दूसरी जगह लिखा गया कि कोई रकम वसूली ही नहीं गई।
सफाई और सुरक्षा पर भी उठे सवाल
अनीस ने दरगाह का निरीक्षण करते हुए कहा कि नालों और परिसर की समुचित सफाई नहीं हो पाती। बरसात के मौसम में पानी भरने से श्रद्धालुओं और दुकानदारों को भारी दिक़्क़त का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने यह भी कहा कि लाखों की भीड़ जुटने वाले इस मेला क्षेत्र में पारदर्शिता, सुरक्षा और स्वच्छता की गारंटी प्रशासन और प्रबंधन की ज़िम्मेदारी है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
“मुख्यमंत्री तक जाएगी रिपोर्ट”
दुकानदारों की शिकायतों को सुनकर अनीस ने आश्वासन दिया कि वह इस पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जिला अधिकारी और मुख्यमंत्री को भेजेंगे। उन्होंने कहा कि दरगाह आस्था का प्रतीक है, यहाँ भ्रष्टाचार और अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी। “श्रद्धालु और दुकानदार दोनों दरगाह का हिस्सा हैं। इनके साथ अन्याय नहीं होने दूँगा,” अनीस ने कहा।
ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान चुनौती
पिरान कलियर दरगाह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के सूफी संतों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रही है। यहाँ उर्स के दौरान गंगा-जमनी तहज़ीब की मिसाल देखने को मिलती है। लेकिन हाल के वर्षों में प्रबंधन पर लगते आरोपों ने इस पवित्र स्थल की गरिमा को ठेस पहुँचाई है।
उम्मीदें और सुधार की ज़रूरत
अब जब उर्स मेला करीब है और लाखों श्रद्धालु यहाँ पहुँचेंगे, तो स्थानीय लोग, दुकानदार और श्रद्धालु यही उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार और वक्फ बोर्ड मिलकर इस दरगाह को उसकी असली पहचान—श्रद्धा, भाईचारा और पारदर्शिता—के अनुरूप व्यवस्थाएँ देकर तैयार करेंगे।