मुजाहिदपुर सतीवाला झगड़े में राजनीतिक लोगों ने किया आग में घी डालने का कामक्या

मुजाहिदपुर सतीवाला झगड़े में राजनीतिक लोगों ने किया आग में घी डालने का कामक्या

 

हरिद्वार।

जब अन्याय या शोषण की बात आए तो सभी को उसका एक मुखर विरोध करना चाहिए। लेकिन जहां अलग-अलग समुदाय के लोग आपसी नाराजगी का शिकार हो रहे हो, वहाँ सभी को धैर्य से काम लेना चाहिए। वहां सहनशक्ति, मोहब्बत से काम लेना चाहिए। और जहां सहनशक्ति और धैर्य खत्म हो जाती है वहां केवल नुकसान ही नुकसान हाथ लगता है। वहां स्वार्थ, ईर्ष्या अपना कब्जा कर लेता है। और अगर बात कि जाएं सहनशक्ति की तो आज के युग में इंसानों में सहनशक्ति घटती जा रही है। दया नाम की कोई जगह ही नहीं रही है। अपने रक्षक ही भक्षक बन चुके है। इसकी प्रमुख वजह है कि आज इंसान बेहद महत्वाकांक्षी हो गया है। वह दिन-रात दौलत और शोहरत हासिल करने की होड में जुटाता है। उनमें जरा भी धैर्य नहीं रहा है। इसी वजह से इंसान एक दूसरे की बातें सुनने और समझने को तैयार नहीं है। एक दूसरे की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है। एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक गुर्ज रहा है। एक दूसरे पर अपनी कड़वी वाणी से जहर उगलने पर लगा है। यहां तक लोग अपने बुजुर्गों, अपने यार दोस्तों के लिए भी धैर्य खो बैठे है। और इंसान इंसानियत को त्याग कर अपने स्वाथ, अपनी तरक्की और झूठी शान शोकत में चुर होकर अंधा हो चुका है। जिनके साथ दिन रात खुशी-खुशी रहते हैं। जिनके साथ बचपना खेल खुद कर गुजारते हैं और एक दूसरे के त्योहारों में शिरकत कर एक दूसरे में महोब्बते बांटी हैं वही मामूली मामूली बातों पर अपना धैर्य खो बैठते हैं। छोटे-छोटे झगड़ों को खत्म ना कर उन्हें हवा देकर विकराल रूप देकर सांप्रदायिक माहौल का रुप देने का काम कर देते है। जो समाज में आपसी भाईचारे को नष्ट कर रहा है। आपसी सौहार्द को नष्ट कर रहा है। सहनशक्ति ना होने के कारण एक दुसरे में ईर्ष्या उत्पन्न हो रही है। जो समाज के लिए और देश के लिए घातक है। क्या यही हमारे संस्कार है। क्या रही हमारे देश की संस्कृति है। अभी हाल ही में मामूली बात पर भगवानपुर क्षेत्र के मुजाहिदपुर सतीवाला गांव रतमऊ नदी पर हुए झगड़े ने जहां महोब्बत को जमीदोज किया है तो वही दोनों अलग अलग समुदाय के लोगों ने माना कि यह आपसी झगड़ा

घाड क्षेत्र में अलंकार करने वाला है। धैर्य और सहनशक्ति ना होने के कारण यह झगड़ा राजनीति की भेंट चढ़ा है। दोनों समुदाय के लोग प्यार मोहब्बत से वर्षों से बसर कर रहे थे। लेकिन कुछ चुनिंदा लोगों की मानसिकता ने आग में घी डालने का काम किया और सौहार्द्र भरे वातावरण को नष्ट करने का कार्य किया गया है। जो लोग एक जगह उठते बैठते, अपना कारोबार करते थे वह अचानक मामूली बात पर अपनी सहनशक्ति खो बैठे और एक दूसरे पर लाठी डंडे बरसने लगे। वही जब इस मुद्दे पर छोटी लाम ग्रंट निवासी हक्कम अली ने बताया कि गई तो उन्होंने बताया कि वर्षों से सभी जाति धर्म के लोग मिलजुल कर घाड़ क्षेत्र में रहते आए हैं। कभी कोई भी झगड़ा आपस में नहीं हुआ है। एक दूसरे के साथ मोहब्बत से रहना और एक ही जगह मिलजुलकर काम करना, यह घाड क्षेत्र की प्रमुखता रही है। लेकिन हरी गंगा स्टोन क्रेशर पर भैंसा बुग्गी की आपसी टक्कर होने पर यह विवाद हुआ है। आपस में भैंसा बुग्गी टकराने से दूसरे समुदाय के लोगों ने गुस्से में आकर मेरे छोटे भाई के साथ झगड़ा किया है। उसके साथ मारपीट भी की गई है। हालांकि वहां पर कुछ लोगों ने झगड़ा शांत भी कराया है। लेकिन दूसरे समुदाय के लोगों ने सैकड़ो की तादाद में इकट्ठा होकर पुल पर दोबारा हमला कर दिया, जिनके हाथों में लाठी डंडे थे। झगड़े की सूचना मिलते ही मुस्लिम समाज के दूसरे गांव से भी कुछ लोग पुल पर पहुंच गए। हालांकि झगड़े की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंची और उन्होंने किसी तरह मामला शांत कराया है। और मामला शांत करने के दौरान दूसरे समाज के लोगों की पुलिस प्रशासन के साथ नोंकझोक भी हुई है। उन्होंने मीडिया के समक्ष जानकारी देते हुए बताया कि दलित समाज और मुस्लिम समाज के दोनों ओर के हुड़दंग मचाने वाले व्यक्तियों को झगड़े में चोटिल भी होना पड़ा है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र दलित समाज और मुस्लिम समाज बहुमूल्य क्षेत्र है दोनों ही समाज के लोगों आपस में प्यार मोहब्बत से रहते आए हैं। लेकिन कुछ हुड़दंग लोगों ने भाईचारे का वातावरण बिगड़ने का काम किया है। उन्होंने यह भी जानकारी देते हुए बताया कि कुछ राजनीतिक लोगों ने भी आग में घी डाला है। राजनीतिक लोगों ने आपसी प्यार मोहब्बत बना रहे इस पर ना कार्य कर अपनी राजनीति रोटियां सेकी है और नफरतें फैलाई है। हक्कम अली ने दोनों समाज के लोगों से अपील करते हुए शांति बनाएं रखने को कहा है और राजनीतिक मुद्दा न बनाने की अपील भी की है।

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आसफपुर खरखड़ी की कुसुम चौहान हुई नीरा अमृत सम्मान से सम्मानित कुसुम चौहान को धार्मिक, सामाजिक व राष्ट्रहित में उनके द्वारा किये जा रहे उल्लेखनीय कार्यो के लिए किया गया नीरा अमृत सम्मान से सम्मानित

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