गढ़ मीरपुर  में ईदगाह पर अदा की गई ईद उल अजहा  की नमाज — श्रद्धा, सौहार्द और सुरक्षा का संदेश

गढ़ मीरपुर  में ईदगाह पर अदा की गई ईद उल अजहा  की नमाजश्रद्धा, सौहार्द और सुरक्षा का संदेश

हरिद्वार। हरिद्वार जनपद के शहरों ,कस्बा एवं  मीरपुर गांव में ईद उल अजहा (बकरा ईद) का पर्व परंपरा, श्रद्धा और भाईचारे के साथ मनाया गया। गांव की ईदगाह में सुबह बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एकत्र होकर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की।

सुबह-सुबह गूंजी ‘अल्लाह-हू-अकबर’ की सदाएं

सुबह तय समय पर गांव की ईदगाह में नमाजियों की भीड़ उमड़ पड़ी। पुरुष, बुज़ुर्ग और युवा सभी पारंपरिक पहनावे में ईदगाह पहुंचे। नमाज अदा करने के बाद लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी और अमन-चैन की दुआ मांगी।

कुर्बानी और जरूरतमंदों की सेवा : नमाज के बाद पैगंबर इब्राहीम की परंपरा को निभाते हुए मुस्लिम समाज के लोगों ने बकरों की कुर्बानी दी। कुर्बानी का मांस जरूरतमंदों और गरीबों में बराबरी से वितरित किया गया। युवाओं ने पूरे सहयोग और संयम के साथ व्यवस्थाएं संभालीं।

गांव में भाईचारे की मिसाल : गढ़ मीरपुर गांव में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिलकर ईद की खुशियां साझा कीं। स्थानीय हिंदू समुदाय के लोगों ने मुस्लिम भाईयों को ईद की बधाइयां दीं और कई स्थानों पर सामूहिक जलपान व मिठाइयों का वितरण भी किया गया। यह दृश्य गांव में गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक सुंदर झलक प्रस्तुत करता है।

प्रशासन रहा मुस्तैद :बकरा ईद के अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद रहा। गांव में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। हरिद्वार पुलिस की ओर से शांति व्यवस्था की अपील की गई थी, जिसका ग्रामीणों ने पूरी तरह से पालन किया।

निष्कर्ष: गढ़ मीरपुर गांव में बकरा ईद का यह आयोजन श्रद्धा, अनुशासन और सामाजिक एकता का सुंदर उदाहरण बना। ईदगाह में सामूहिक नमाज, कुर्बानी और सेवा भावना के साथ मनाया गया यह त्योहार गांव के धार्मिक और सामाजिक सौहार्द को और मज़बूती प्रदान करता है।

भाईचारे की मिसाल: 40वां जोड़ा मेले में सिख और मुस्लिम समुदाय ने मिलकर रचा सौहार्द का इतिहास, 40वां जोड़ा मेला – प्रकाश पूरब श्री गुरु अंगद देव जी एवं बाबा लख्खी बंजारा जी की याद में मनाया जा रहा है

error: Content is protected !!