गैरों पर सितम, अपनों पर रहम — यह कैसी व्यवस्था?
रेगुलेटर पुल से बेगमपुर की ओर धड़ल्ले से जा रहे भारी वाहन, प्रशासन मौन
हरिद्वार,। सुमन नगर/बेगमपुर:
“गैरों पर सख्ती और अपनों पर नरमी” — क्या यही अब प्रशासन की नई परिभाषा बन चुकी है?
कांवड़ यात्रा के चलते भारी वाहनों की आवाजाही पर सख्त पाबंदी लगाई गई है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। रेगुलेटर पुल से होते हुए बेंगमपुर की ओर भारी वाहन खुलेआम कांवड़ पटरी के रास्ते दौड़ते नजर आ रहे हैं, और पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से मूकदर्शक बना हुआ है।
श्रद्धालुओं की जान जोखिम में
कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु पैदल हरिद्वार से गंगाजल लेकर बहादराबाद पटरी मार्ग से बेंगमपुर होते हुए हरियाणा एवं पंजाब की ओर लौटते हैं। प्रशासन ने इनकी सुरक्षा के लिए विशेष यातायात योजना बनाई थी, लेकिन भारी वाहन उसी मार्ग पर बेरोक टोक चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह न सिर्फ नियमों की खुली अवहेलना है, बल्कि यात्रा में शामिल लोगों की जान से खिलवाड़ भी है।
प्रशासन की दोहरी नीति?
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुछ वाहन मालिकों और ट्रांसपोर्टरों को प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है, तभी तो नियम तोड़ने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। आम लोगों पर चालान और पूछताछ, लेकिन रसूख वालों को छूट — यह दोहरी नीति अब जनता के बीच गुस्से का कारण बन रही है।
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों सें सवाल:
जब कांवड़ मार्ग पर भारी वाहनों की पाबंदी है, तो ये वाहन रेगुलेटर पुल से कैसे गुजर रहे हैं?
क्या नियम सिर्फआम जनता के लिए हैं?
कोई बड़ा हादसा होने पर जिम्मेदार कौन होगा?
रेगुलेटर पुल पर तत्काल भारी वाहनों की एंट्री पूरी तरह बंद की जाए।