पिरान कलियर उर्स मेला: अव्यवस्थाओं के साये में आस्था का महापर्व,झूलों और मशहूर होटलों पर संकट, जलभराव और अव्यवस्थाओं से बिगड़ी स्थिति,सज्जादानशीन परिवार और प्रशासन में विवाद, झूलों पर संकट,साबरी जामा मस्जिद की छत टपकने से जायरीनों को परेशानी

असद मियां का आरोपउर्स मेला मैं लगा जर्मन टेंट राजनीतिक  अड्डा बना दिया गया है

मशहूर होटल नजीर और झंडा होटल  आने की संभावनाएं

असद मियां का आरोपधार्मिक आयोजन को राजनीति का मंच बनाया जा रहा जर्मन कैंप

पिरान कलियर उर्स मेला: अव्यवस्थाओं के साये में आस्था का महापर्व

हरिद्वार। देश-विदेश में आस्था का प्रतीक मानी जाने वाली विश्व प्रसिद्ध दरगाह पिरान कलियर में उर्स मेला शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। 24 अगस्त से रसों में मेहंदी डोरी के साथ इस पवित्र मेले की शुरुआत होगी।

हजारों की संख्या में जायरीन यहां पहुंचकर दरगाह पर हाजिरी देंगे। लेकिन मेले की तैयारियां इस बार गंभीर सवालों के घेरे में हैं।

 

झूलों पर संकट

असद मियां सज्जादा नशीन परिवार से हैं उसका कहना है कि जिस स्थान पर झूले लगाए जाते हैं, उसका 8 प्रतिशत हिस्सा उन्हें दिया जाता है। परंतु पिछले चार-पांच वर्षों से यह पैसा उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है। इसी कारण पिछले वर्ष भी झूले नहीं लग सके थे। इस बार भी झूले लगना अनिश्चित है। परिवार का कहना है कि जब तक प्रशासन और उनके बीच उचित समझौता नहीं होता, तब तक मेले में झूले लगाना संभव नहीं है। यह स्थिति बच्चों और युवाओं के उत्साह को प्रभावित कर सकती है।

 

होटलों और खानपान पर असर

मेले की शान माने जाने वाले मशहूर मारूफ होटल नजीर और झंडा होटल भी इस बार न आने की संभावना जताई जा रही है। वजह यह है कि जहां ये होटल लगाए जाते हैं, वहां जलभराव और बदहाल व्यवस्थाएं हैं।

जायरीनों के लिए खानपान की यह कमी बड़ा झटका साबित हो सकती है, क्योंकि देश के कोने-कोने से आने वाले लोग इन होटलों का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

      व्यवस्थाएं चौपट, मस्जिद की हालत खराब

असद मियां का कहना है कि हर साल जर्मन टेंट लगाया जाता है, जो जायरीनों की सुरक्षा और सुविधा के लिए आवश्यक होता है। लेकिन इस बार टेंट लगाने की व्यवस्था भी अव्यवस्थित दिखाई दे रही है। उन्होंने प्रशासन और शासन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आस्था के इस पर्व को धार्मिक माहौल में मनाने की बजाय इसे राजनीतिक अड्डा बना दिया जाता है। सबसे गंभीर स्थिति साबरी जामा मस्जिद की है। मस्जिद की छत टपक रही है, जिससे नमाज अदा करने आने वाले जायरीन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह वही मस्जिद है जहां हजारों जायरीन रोजाना इबादत करते हैं। मस्जिद की बदहाली आस्था पर सीधा प्रहार मानी जा रही है।

 

    जायरीनों की उम्मीदें और प्रशासन की जिम्मेदारी

कलियर शरीफ उर्स मेला केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब और आपसी भाईचारे का प्रतीक भी है। हर साल लाखों की संख्या में जायरीन यहां पहुंचते हैं। ऐसे में अव्यवस्थाओं का होना उनकी भावनाओं को आहत करता है।
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि स्थानीय लोग और जायरीन साफ कह रहे हैं कि इस बार प्रशासन की तैयारियां बिल्कुल भी धरातल पर नजर नहीं आ रही हैं। जलभराव, गंदगी, सुरक्षा, यातायात और खानपान जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं में भारी खामियां हैं। अब सवाल यह है कि आखिरी वक्त में प्रशासन कितना सुधार कर पाता है।

आस्था बनाम राजनीति

दरगाह से जुड़े लोग मानते हैं कि उर्स मेला पूरी तरह से आस्था और आध्यात्मिकता का पर्व है, लेकिन साल दर साल यह राजनीतिक मंच में तब्दील होता जा रहा है। नेताओं की बयानबाज़ी और मंच सजाने के बीच जायरीनों की सुविधाएं पीछे छूट जाती हैं। कुल मिलाकर, इस बार का उर्स मेला व्यवस्थाओं के भारी संकट और राजनीति के साये में शुरू होने जा रहा है। जायरीनों की आस्था और उम्मीदें प्रशासन की तैयारी पर टिकी हैं। आने वाले दिनों में ही साफ होगा कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभा पाएगा या फिर इस बार भी आस्था अव्यवस्था की भेंट चढ़ेगी।

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